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आस्था : कोटियाल गांव में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई मदेश्वर महाराज की जातर, ध्याणियों ने महाराज को भेंट किया चांदी का मुकुट और ढोल–नगाड़ा

नौगांव uttarkashi,, सुनारा और कोटियाल गांव में हर वर्ष सावन महीने में आयोजित होने वाला मदेश्वर महाराज का तीन दिवसीय मेले का विशाल भंडारे के साथ समापन हो गया है। मेले में कोटियाल गांव की ध्याणियों ने आराध्य देव मदेश्वर महाराज को चांदी का मुकुट और ढोल–नगाड़ा भेंट किया है। इससे पहले सुनारा गांव की ध्याणियों ने महाराज को चांदी की धूप्यानू व गडवा भेंट किया था। मेले में ग्रामीणों/मेहमानों ने 3 दिन रात/दिन रासौं–तांदी नृत्य का आयोजन कर मेलार्थियों का खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम आयोजन को सफल बनाने में समस्त ग्रामीणों का सहयोग रहा।

विकासखंड नौगांव के कोटियाल गांव में हर वर्ष सावन महीने में आयोजित होने वाला आराध्य देव मदेश्वर महाराज का मेला इस बार बड़ी धूमधाम से मनाया गया है। महाराज अपने तय कार्यक्रम के तहत (9 गते सावन) को गर्भगृह (शिव मंदिर कोटियाल गांव) से बाहर निकलकर ग्रामीणों को अपना आशीर्वाद दिया और सुनारा के लिए प्रस्थान किया। उसके बाद 10 गते (25 जुलाई) सुनारा गांव के (देवथव/थात्त: नामे स्थान) पर बड़ी धूमधाम से मेला मनाया गया। जिसमें सुनारा, कोटियाल गांव, मंजियाली व कंसोला के ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर मेले की शोभा बढ़ाई और मेले को लुत्फ उठाया। शुक्रवार 11 गते सावन (26 जुलाई) को कोटियाल गांव की ध्याणियों ने मदेश्वर देवता की पालकी और नए मुकुट को गंगानी से स्नान कराकर महाराज को भेंट किया। शनिवार 12 गते सावन (बेठी जातर) के दिन सायं माली बालकृष्ण बिजल्वाण द्वारा की गई विधिवत पूजा–अर्चना के बाद मदेश्वर महाराज एक वर्ष के लिए गर्भगृह में विराजमान हो गए। इस मौके पर ग्रामीणों ने सभी ध्याणियों को भगवान मदेश्वर महाराज के छायाचित्र से बने मोमेंटो देकर सम्मानित किया। मेले के समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया। मेलार्थियों ने मेला स्थान पर लगाई गई जलेबी, पकोड़ी, चोमिन का खूब आनंद उठाया।ग्रामीणों/मेहमानों ने ढोल–नगाड़े की थाप पर रासौं–तांदी नृत्य कर और झुनझुन बैंड की धुन पर डांस कर मेलार्थियों का खूब मनोरंजन किया। इस दौरान समस्त ग्रामीण उपस्थित रहे।

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