पुरोला uttarkashi,, अतिवृष्टि में बही तल्डा गांव के 50 परिवारों को जोड़ने वाली ‘RCC पुलिया’ आठ माह बाद भी नहीं बनी, आखिर जिम्मेदार कौन ? वैकल्पिक मार्ग के रूप में लगने वाली ट्रॉली कागजों में ही अटकी, नदी उफनाने पर जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर करीब 150 लोग और स्कूली बच्चे। बरसात का सीजन आने में बचे मात्र 2 माह, ग्रामीणों को सताने लगा अनहोनी का भय!
बीते वर्ष 23 में पुरोला में हुई अतिवृष्टि से ग्राम विणगधेरा एंव तल्डा को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाला कमल नदी पर बनी पैदल आरसीसी पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई थी। पुलिया रेशम फार्म, राजकीय प्राथमिक विद्यालय तल्डा, ग्राम विणगधेरा तल्ला एंव ग्राम तल्डा को जोडने वाला एक मात्र विकल्प थी। लेकिन उसके बहने से कमल नदी के आरपार रहने वालों लोगों को आवाजाही में कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी परेशानी तो तब होती है, जब कमल नदी उफान पर होती है। तब ग्रामीणों, स्कूली बच्चों, रेशम विभाग के कर्मचारियों, और शिक्षकों को जान जोखिम में डालकर आवागमन करना पड़ता है। साथ ही कहा कि कई बार लोग बीमार या गर्भवती महिलाओं को नदी पार कराते समय जान का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों संगीता चमोली, सुमन राणा, हरेंद्र राणा, प्रेम सिंह, कमला देवी, जुमानी देवी, सुमति, नर्वदा राणा, स्मिता राणा, सोहन, यशवीर नेगी, अनिता, चत्री देवी, किंद्रा देवी, संगीता,राम देई, सुचिता देवी का कहना है कि बरसात का सीजन आने में मात्र 2 माह का समय बचा है, लेकिन सरकार/जिला प्रशासन द्वारा अब तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। जिससे ग्रामीणों को अनहोनी का भय सताने लगा है। इतना है नहीं उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की परेशानी को देखते डीएम ने उक्त स्थान पर वैकल्पिक मार्ग के तौर पर ट्रॉली लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन वह ट्रॉली कागजों में ही अटक गई। ग्रामीणों का कहना है कि मामले के संबंध में जब स्थानीय विधायक दुर्गेश्वर लाल के पास गए तो उन्होंने बजट न होने का राग अलापते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। तल्डा के ग्रामीणों ने जल्द उक्त स्थान पर आवागमन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करने पर अब स्टेट हाइवे को जाम करने की चेतावनी दी है।