बड़कोट uttarkashi,, विकासखंड नौगांव के बसराली गांव में सरकार ने मूलभूत सुविधा दी तो है, लेकिन विभाग और ठेकेदार ने कर दी खानापूर्ति! जिस कारण ग्रामीणों को उठानी पड़ रही है परेशानी। ये कैसा विकास है, जिनको व्यवस्थाओं को उतारना है धरातल पर, वह लगे हैं खुद की तिजोरियां भरने में। ग्रामीणों में भारी आक्रोश।
जल जीवन मिशन पूरे होने के बोर्ड लगे तो हैं, लेकिन ग्रामीण पेयजल के लिए मोहताज : गांव में जेजेएम के तहत किए गए कार्य धरातल पर खानापूर्ति के लिए लिए गए। पहले फेस में हर घर में कनेक्शन तो दिए गए, ओ भी बिना स्टैंड पोस्ट, बिना ट्वांटी और खुले में लाइन बिछा के। दूसरे फेस में गांव में टैंक तो बना दिया गया, लेकिन उसमें पानी है नहीं। पानी न होने का कारण विभाग और ठेकेदार द्वारा श्रोत से पानी को ठीक से न जोड़ना है। जिस कारण लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
टूटे–फूटे रास्ते : गांव में मनरेगा के तहत लाखों रुपए का काम सिर्फ कागजों पर ही ठिकाने लगा दिया गया है। जमीन पर ना तो रास्ते बने हैं। ना ही कोई विकास हुआ है। रास्ते गंदगी से पटे हैं। रास्ते पर कहीं पर भी एक पत्थर नहीं लगा है। जिससे ग्रामीणों/बाहर से आने वाले मेहमानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पीडब्ल्यूडी ने सड़क तो बनाई लेकिन आधा–अधूरी : सरकार द्वारा गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए पैसे तो दिए गए, लेकिन वह ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा खानापूर्ति कर ठिकाने लगाए जा रहे। सड़क अभी पूरी बनी भी नहीं, लेकिन पैराफिट हल्का हिलाने से ही गिर रहे हैं, इतना ही नहीं ठेकेदार/विभाग ने सड़क कटिंग के दौरान ध्वस्त हुए रास्ते बनाने भी उचित नहीं समझे। ना ही सड़क को पूरा बनाया जा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस रोड पर तीन जगह पुलिया का निर्माण होना था, लेकिन ठेकेदार और विभाग द्वारा पैसे बचाने के लिए एक जगह ही बनाई जा रही है पुलिया।
गांव में लाइट तो है ओ भी सिंगल फेस !: गांव में विद्युत विभाग द्वारा बिजली तो दी गई है। ओ भी सिंगल फेस, जिससे हर रोज डिम लाइट की समस्या बनी रहती है। साथ बार–बार फ्यूज भी उड़ता रहता है। जिसके कारण ग्रामीणों को भारी समायाओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में कई दफे विद्युत विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया,लेकिन समस्या जस की तस बनी है।
मोदी के शौच मुक्त भारत को ठेंगा : ग्रामीणों के लिए सरकार ने शौचालय बनाने के लिए पैसे तो दिए लेकिन सभी कागजों में सिमट गए। गांव में एक दो परिवार को छोड़ किसी के घर में शौचालय नहीं हैं। जिससे ग्रामीण/बाहर से आने वाले रिश्तेदार खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने सरकार द्वारा शौचालय बनाने के लिए दिए गए पैसे विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ठिकाने लगा दिए गए। और मोदी के शौच मुक्त भारत को ठेंगा दिखा दिया गया।
गांव में आबादी को छोड़ दो परिवारों के लिए बन रहा बारात घर : गांव के लिए एक बारात घर स्वीकृत है, लेकिन वह गांव से दूर छानी के पास बनाया जा रहा है, यहां पर उसका यूज भी नहीं है, ग्रामीणों द्वारा जब ठेकेदार से बारात घर को गांव में बनाने के लिए बोला गया तो ठेकेदार द्वारा अनसुना कर अपने घर के बगल में निर्माण शुरू करा दिया। जिससे ग्रामीणों में रोष बना है।