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नाइंसाफी : लाल चावल (चरधान) उगाने वाले पुरोला के किसान और “GI Tag” का फायदा उठा गया बाहरी NGO!

  • स्थानीय कृषकों के शिष्टमंडल ने नवनियुक्त डीएम से लगाई पुरोला को ‘GI tag’ दिलाने की गुहार

पुरोला uttarkashi,, लाल चावल (चरधान) उगाने वाले रामा/कमल सिराईं पट्टी के लोग ‘GI Tag’ के लिए दर–दर भटक रहे हैं। लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं! पुरोला के किसानों के एक शिष्टमंडल ने शुक्रवार को नवनियुक्त जिलाधिकारी से मुलाकात कर ज्ञापन देकर लाल चावल का ‘GI Tag’ पुरोला की संस्था को दिलाने की गुहार लगाई है।

शिष्टमंडल ने डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट को दिए ज्ञापन में लिखा कि शून्य प्रतिशत पलायन करने वाले लोग पुरोला क्षेत्र में उगने वाले लाल चावल (चरधान) के लिए एक अलग पहचान रखता है। पलायन न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण हमारे खेतों में उगने वाला लाल चावल ही है। इस लाल चावल ने ही यहां के निवासियों को स्वरोजगार से जोड़ कर रखा है। और अपनी आजीविका चला रहे हैं। लाल चावल से हमारी संस्कृति, सभ्यता, विरासत जुड़ी है, लाल चावल का उत्पादन सैकड़ों वर्षों से रामा/कमल सिराईं पट्टी के लोग कर रहे हैं। लेकिन, ‘GI Tag’ कुछ विभागीय कर्मचारी/ NGO की मिलीभगत से कहीं और दिया गया है। इतना ही नहीं ‘GI Tag’ में दर्शाए गए सभी कृषक पुरोला क्षेत्र से हैं। इसका पता तब चला जब हमने समाचार पत्रों व पत्राचार किया। उसके बाद पता चला कि पुरोला के प्रसिद्ध लाल चावल (चरधान) का उत्पादन सम्पूर्ण उत्तराखण्ड के साथ-साथ किसी स्वयंसेवी संस्था को दर्शाया गया है, जिससे सम्पूर्ण कृषक व जनमानस आहत हैं। उन्होंने डीएम से पुरोला के आत्म सम्मान एवं किसानों के सम्मान से जुड़े लाल चावल का ‘GI Tag’ मूल रूप से पुरोला को दिलाने की गुहार लगाई है।

शिष्टमंडल में ये रहे शामिल : बलदेव असवाल, राजपाल पंवार, सोवेंद्र पंवार, राजेंद्र रावत, स्यालिक राम नौटियाल, देवेंद्र ज्याडा, मेघनाथ सिंह,सुदामा प्रसाद, रामलाल नौटियाल सहित अन्य रहे।

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