क्राइमसामाजिक
Trending

आज का विशेष व्यंग्य : उत्तरकाशी जनपद के यमुनाघाटी में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से थम सा रखा है विकास का पहिया??

संपादकीय,,,,

आखिर किसकी नजर लगी है, यमुनाघाटी के विकास पर?? जिससे विकास का पहिया कुछ थम सा रखा है। दरअसल हुआ यूं कि क्षेत्र की किसी समस्या को लेकर हम एक दफ्तर में समाधान कराने पहुंचते हैं, और अधिकारी को समस्या से अवगत करवाते हैं। लेकिन दफ्तर में बैठे अधिकारी का दुःखडा सुनकर हम हके बके (हैरान) रह जाते हैं।

एक ईमानदार अधिकारी बताते हैं कि हम बेहतर कार्य करने की सोच लेकर यहां आए थे, लेकिन अब यहां के हालातों को देख किसी का फोन कॉल भी रिसीव करने का मन नहीं करता है। हम जब कारण जानने की कोशिश करते हैं तो वह बताते हैं कि वर्षों से एक ही जगह विभागों की कुर्सियों पर चिपके कुछ विभागीय लोगों/लोकल के स्थानांतरण ना होने से, वह लोग “राजनैतिक संरक्षण” के चलते अधिकारियों की अनसुनी करते हैं।
जब अमुक अधिकारी से हम ठेकेदारों की लापरवाही और कार्यों की गुणवत्ता की बात करते हैं तो उनके द्वारा बताया जाता है कि विभागों के ठेकेदारों के कार्यों की गुणवत्ता ठीक ना होने के कारण जब हम इनका भुगतान रोकते हैं और कार्य की गुणवत्ता को सुधारने की बात कहते हैं तो अधिकांश ठेकेदार माननीयों से फोन करवाते हैं और अपने रुके भुगतान के लिए दबाव बनाते हैं। जिनमें समाज के दर्पण बने कुछ “वरिष्ठ पत्रकार” भी शामिल हैं।

इस पूरे व्यंग्य में उक्त अधिकारी का कहना है कि यह क्षेत्र तब तक विकास की गति नहीं पकड़ेगा, जब तक विभागों में वर्षों से जमे स्थानीय कर्मचारियों का यहां से अन्यत्र तबादला नहीं किया जाता। तब तक यहां का विकास असंभव नजर आता है।

अच्छे अधिकारियों का करा दिया जाता है तबादला :सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां जो भी अच्छा अधिकारी आता, वह विभाग में बैठे भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारियों व नेताओं की सांठगांठ की भेंट चढ़ जाते हैं। और अन्यत्र तबादले के शिकार हो जाते हैं या भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button