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कहीं आरक्षण के दंश से विकास में तो नहीं पिछड़ रही पुरोला विधानसभा? सामान्य वर्ग के योग्य उम्मीदवार अपनी प्रतिभा दिखाने से वंचित!

Naugaon से सामाजिक कार्यकर्ता/लेखक जय प्रकाश इंदवाण की कलम से …

भारत देश में आरक्षण एक ऐसा सामाजिक सुधार का कदम था, जिसका उद्देश्य हमारे समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को समान अवसर प्रदान करना था। यह देश में व्याप्त असमानताओं को कम करने और समाज के सभी वर्गों को समान स्तर पर लाने की एक महत्त्वपूर्ण पहल थी। लेकिन, आरक्षण की यह नीति अब एक ऐसे मोड़ पर आ खड़ी हो गई है, जहां इसके पुनर्मूल्यांकन और पुनर्समीक्षा की आवश्यकता महसूस हो रही है।

उत्तराखंड राज्य के विशेष रूप से पुरोला विधानसभा की बात करें, तो यह देखा जा सकता है कि आरक्षण की व्यवस्था ने यहां की योग्य जनता, विशेष रूप से सामान्य वर्ग के लोगों को आगे बढ़ने का अवसर नहीं दिया। रवांई घाटी और गंगा घाटी की जनता लंबे समय तक विकास से वंचित रही है। उत्तराखंड बनने के बाद भी इस क्षेत्र के लोगों को समान अवसर नहीं मिल पाए हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे क्षेत्रों में विकास की उम्मीदें तो जगी, लेकिन पुरोला विधानसभा में विकास पर आरक्षण ने कुंडली मार रखी है। जिससे विधानसभा विकास के मामले में अन्य विधानसभाओं से कोसों दूर है।

मुझे आरक्षण से समस्या नहीं है, लेकिन इसका उपयोग अब सीमित नहीं रहना चाहिए। समाज के हर वर्ग को बराबरी से भागीदारी का अवसर मिलना चाहिए। मेरा मानना है कि आरक्षण की यह व्यवस्था हर दशक में पुनर्मूल्यांकित होनी चाहिए। ताकि हर योग्य व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग से हो, समाज में अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग कर सके। यह महत्वपूर्ण है, कि हम समाज में संतुलन बनाए रखें और किसी भी वर्ग को अवसरों से वंचित न किया जाए।

रवांई घाटी के महान समाज सुधारक पंडित दौलत राम रवांल्टा का जीवन इस क्षेत्र के लिए आदर्श रहा है। उन्होंने समाज में सुधार के बीज बोए, लोगों को जागरूक किया और विकास की दिशा में प्रेरित किया। उनकी विचारधारा ने हमें यह सिखाया कि समाज में सभी को बराबरी के मौके मिलने चाहिए। लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके जैसे योग्य नेता, और उत्तरकाशी के प्रख्यात व्यक्तित्व वाले सकल चंद रावत और मोरी निवासी रोजी सिंह सौंदाण जैसे कई अन्य योग्य लोग भी आरक्षण की वजह से पीछे रह गए हैं।

उन्होंने शासन से अपील करते आरक्षण की इस नीति को समय-समय पर बदलने की मांग की है। ताकि समाज के हर वर्ग को नेतृत्व करने का मौका मिले। कहा हम आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसकी वर्तमान स्थिति में बदलाव की मांग करते हैं। हम चाहते हैं कि एक ऐसा समाज बने जहां योग्यता को प्राथमिकता दी जाए, ताकि सभी को समान अवसर मिले और समाज का संतुलन बना रहे।

अब समय आ गया है कि पुरोला विधानसभा में आरक्षण की समीक्षा हो और इसके दायरे का पुनर्निर्धारण किया जाए। ताकि वंचित रह गए लोग भी नेतृत्व की भूमिका में आ सकें और समाज के हर वर्ग को विकास में भागीदारी का समान अवसर प्राप्त हो सके।

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