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Big breking : यमुनाघाटी में ठेकेदार/जल संस्थान की मिलीभगत से ठिकाने लगाए जा रहे जल जीवन मिशन के पैसे, खुले में बिछाई गई लाइन जगह–जगह टूटी, सरकारी स्कूल की पेयजल आपूर्ति ठप

ठेकेदार द्वारा विकासखंड नौगांव के भंकोली राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के लिए बिछाई गई खुली लाइन जगह–जगह टूटी, पेयजल के लिए बच्चे हर रोज जा रहे 02 किमी पैदल, पानी लाने में ही बीत जाता है आधा समय, फिर पढ़ाई कब करेंगे ?

पुरोला uttarkashi,, यमुनाघाटी के ग्रामसभा भंकोली स्तिथ राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पिछले दो साल से पेयजल आपूर्ति लगातार बाधित हो रही है। जिसका प्रमुख कारण ठेकेदार द्वारा “जल जीवन मिशन” के पहले चरण के तहत मानकों को दरकिनार कर खुले में बिछाई गई पाइप लाइन है। इस संबंध में अध्यापक/अभिभावक संघ द्वारा दो बार लिखित में जल संस्थान पुरोला को पत्र दिया गया है। लेकिन समस्या जस की तस बनी है। अब दो साल बाद तक समस्या का समाधान न होने पर अभिभावकों द्वारा एसडीएम पुरोला को ज्ञापन दिया गया है। अब देखते हैं एसडीएम साहब इस पर क्या कारवाई करवाते हैं??

अभिभावकों का कहना है कि ठेकेदार द्वारा “जल जीवन मिशन” के तहत विद्यालय में खुली लाइन से पेयजल कनेक्शन दिया गया था जो लाइन अब जगह–जगह से टूट गई। लाइन टूटने के कारण विद्यालय में पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है। स्कूल में पानी न आने के कारण शिक्षकों/छात्र–छात्राओं को पानी के लिए 02 किमी दूर जाना पड़ रहा है लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। इस समस्या को लेकर अध्यापक/अभिभावक संघ द्वारा दो बार लिखित में जल संस्थान पुरोला के ईई को पत्र दिया गया है। लेकिन समस्या जस की तस बनी है। बच्चे हर रोज 2 किमी दूर प्राकृतिक स्रोत से पानी लाने को मजबूर हैं। जिससे बच्चों के पठन–पाठन का समय पानी लाने में ही बीत जाता है। तो फिर वह पढ़ाई कब करेंगे? उन्होंने एसडीएम पुरोला देवानंद शर्मा से समस्या के समाधान की गुहार लगाई है।

यमुनाघाटी में ठेकेदारों द्वारा उड़ाई जा रही जल जीवन मिशन की धज्जियां : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट “जल जीवन मिशन” (हर घर नल से जल) योजना की उत्तरकाशी जनपद के यमुनाघाटी में ठेकेदारों व विभाग द्वारा पलीता लगाया जा रहा है। आलम यह है कि कई जगह ठेकेदारों ने लाइन खुले में बिछा रखी है, कई जगह बैगर स्टैंड पोस्ट के कनेक्शन दिए गए हैं। और कई लोगों को इस योजना से वंचित रखा गया है। विभागीय द्वारा ठेकेदारों का लगभग 70 प्रतिशत भुगतान भी किया जा चुका है। देखने वाला कोई नहीं है। 

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