पुरोला uttarkashi,, यमुनाघाटी में स्मैक का कारोबार एक बार फिर से फलफूलने लगा है। इसकी गिरफ्त में सरकारी विभागों में तैनात कई इंजीनियर, शिक्षकों के साथ डंफर/ पीकअप चालक और नवजवान हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर स्मैक यहां कैसे पहुंच रही है? कौन ला रहा है, कौन बेच रहा है, यह पुलिस के लिए एक पहेली बनी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नौगांव, पुरोला, बड़कोट और मोरी के स्मैक कारोबारी अपने निजी/प्राइवेट वाहनों से देहरादून/विकासनगर से सस्ते दाम पर स्मैक खरीदकर लाते हैं, फिर इस दलदल में फंसे सरकारी विभागों में तैनात इंजीनियर, शिक्षकों के साथ यहां के नवजवानों को उचित दामों पर बेच रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों और युवा जब देहरादून/विकासनगर का चक्कर लगता है तो वह खुद भी स्मैक खरीद कर लाते हैं, खुद भी पीते हैं और यहां के नवजवानों को भी पिलाते हैं। नई पीढ़ी इस दलदल में इतना फंस चुकी है कि अपने परिजनों पैसे मांगते हैं, पैसे नहीं मिलने पर घर से भागने या मरने की धमकी देते हैं। जिससे परिजन विवश होकर पैसे देने को मजबूर हो जाते हैं। यमुनाघाटी इस दलदल में बुरी तरह से फंस चुकी है।
नशे की तस्करी करने वालों पर पुलिस लगातार निगरानी बनाए हुई है। जल्द ही इसका धंधा करने वाले सलाखों के पीछे होंगे। –सुरेंद्र सिंह भंडारी, सीओ बड़कोट।