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टिहरी संसदीय क्षेत्र के पुरोला विधानसभा के 7 गांव के ग्रामीणों ने कर रखा है चुनाव बहिष्कार, आखिर क्यों? 

  • 21वीं सदी में भी सड़क मार्ग से वंचित हैं टिहरी संसदीय क्षेत्र के पुरोला विधानसभा के करीब 12 गांव 

पुरोला uttarkashi,, भारत में संविदान लागू होने के बाद 18वीं लोकसभा का चुनाव का बिगुल बज चुका है। इसके लिए आचार संहिता भी लागू हो चुकी है। नेताओं का वोटरों को लुभाने के लिए जनसभाएं, शहर, गांव–गांव, घर–घर जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। नेता चुनाव के समय लोगों से समस्याओं का निदान कराने के वादे के साथ अपने प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान तो करवा लेते हैं लेकिन चुनाव सम्पन्न होने के बाद जनता की समस्याओं को भूल जाते हैं। जिसके कारण 21वीं सदी में भी कई गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। हम बात कर रहे हैं, टिहरी संसदीय क्षेत्र के पुरोला विधानसभा के करीब 12 गांव की, जिसमें से 7 गांव के ग्रामीणों ने इस बार चुनाव का बहिष्कार कर रखा है।

चुनाव बहिष्कार करने वाले गांव

  • ग्राम लिवाड़ी मोटर मार्ग निर्माण की मांग
  • ग्राम धारा मोटर मार्ग निर्माण की मांग
  • ग्राम सेवा मोटर मार्ग निर्माण की मांग
  • ग्राम दूनी, सट्टा, मसरी, हडवाड़ी, बरी, हिमरी से मुसाई पानी तक मोटर मार्ग ट्रांसफर की मांग
  • ग्राम खेडमी मोटर मार्ग निर्माण की मांग
  • ग्राम भांकवाड खनन पट्टा निरस्त किए जाने की मांग
  • सुरानू की सेरी मोटर मार्ग निर्माण की मांग

शेष 5 गांव (कामरा–सांखाल–मटियालोड़, सिकारू, तल्डा, सपेटा और दोणी) भी सड़क मार्ग से वंचित हैं। स्तिथि इतनी खराब है कि इन चारों गांव में भी अगर कोई बीमार पड़ जाए, तो उसको गांव से सड़क मार्ग तक पहुंचाने के लिए घोड़े–खच्चर या डंडी–कंडी का सहारा लेना पड़ता है। जिससे कई बार बीमार व्यक्ति रास्ते में ही दम तोड़ चुका है।

इसी मार्च माह में ही कामरा ग्राम के सांखाल में दुर्घटना के 3 मामले सामने आए हैं, जिसमें अंजू पत्नी संतोष 5 मार्च को पैर फिसल कर गिर गई। बीमार जसोदा पत्नी सुनील 9 मार्च को सड़क तक लाते समय रास्ते में डंडी पर बैठा बच्चा गिर गया था। सिमरन पत्नी अजय 12 मार्च पैर फिसल कर गिर गई। तीनों को डंडी–कंडी के सहारे सड़क मार्ग तक लाया गया। इतना ही नहीं बरसात में लोगों को उफनाते गदेरे को 22 बार आर–पार करके पैदल सड़क पर पहुंचना पड़ता है। जिससे अनहोनी का खतरा बना रहता है। इस ग्राम सभा में कुल मतदाताओं को संख्या करीब 230 है। उसके बावजूद शासन/प्रशासन ने अब तक गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की जहमत तक नहीं उठाई। सड़क से वंचित ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है।

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