मोरी uttarkashi,, वर्ष 1967 से संचालित पहले प्राथमिक फिर जूनियर, फिर हाईस्कूल और 2006 में राजकीय इंटर कॉलेज में उच्चीकृत होने के बाद से अब तक राइका खरसाड़ी विद्यालय भवन की वाट जोह रहा! मंत्रियों/विधायकों द्वारा तैयार कराई गई डीपीआर सचिवालय में धूल फांक रही है? कक्ष–कक्षा के अभाव के चलते छात्र–छात्राओं का पठन–पाठन प्रभावित हो रहा है! और तो और बरसात के दिन कुछ कक्षाओं की करानी पड़ती है छुट्टी? स्वतंत्रता दिवस की 77वीं बेला पर कीचड़ से पटे ग्राउंड में आयोजित किए जा रहे थे कार्यक्रम! नदी/नालों में खर्च किया जाता है करोड़ों का बजट, लेकिन बच्चों का भविष्य संवारने वाले विद्यालय भवन बनाने के लिए नहीं बजट?
15 अगस्त को पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस की 77वीं वर्षगांठ बड़ी धूमधाम से मनाई गई। लेकिन हम आपको उत्तरकाशी जनपद के एक ऐसे स्कूल से रूबरू कराएंगे। जहां कीचड़ से पटे फील्ड में बच्चे कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे। मामला है मोरी विकासखंड के मुख्य द्वार खरसाड़ी राजकीय इंटर कॉलेज गाड़ूगाड़ पट्टी का, यहां न तो विद्यालय भवन है, न फील्ड की दशा ठीक है। विद्यालय में करीब 300 छात्र–छात्राएं अध्यन्नरत हैं। कक्ष–कक्षा के अभाव के चलते बरसात के दिन कुछ कक्षाओं की करानी पड़ती है छुट्टी। जिससे बच्चों का पठन–पाठन प्रभावित हो रहा है। बच्चों का पठन–पाठन लैब में चल रहा है। एक रूम में तीन–तीन क्लास संचालित की जा रही है। जिससे बच्चों का भविष्य अंधकार में है। जबकि स्कूल में पर्याप्त मात्रा में भूमि उपलब्ध है। लेकिन कोई भी नेता/अधिकारी स्कूल भवन बनाने की जहमत तक भी नहीं पा उठा पाया है। पीटीए संघ के अध्यक्ष और बच्चों के परिजनों का कहना है कई बार इसको लेकर शासन/प्रशासन को पत्राचार किया गया है। लेकिन समस्या जस की तस बनी है। इतना ही नहीं यहां आए पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और विधायक राजकुमार ने स्कूल भवन बनाने के लिए डीपीआर भी तैयार करवाई थी,लेकिन वह सचिवालय में कहीं धूल फांक रही है। उनका कहना है कि क्षेत्र में हर साल करोड़ों का बजट नदी/नालों में घुसा दिया जाता है, लेकिन स्कूल भवन को बनाने के लिए पैसों को स्वीकृति तक नहीं दी जा रही है। इस विद्यालय का संचालन 1967 से किया जा रहा है। 2006 में विद्यालय का उच्चीकरण कर इंटर कॉलेज में तब्दील कर दिया गया। विद्यालय में 300 छात्र–छात्राएं अध्यनरत है। लेकिन किसी को भी आज तक बच्चों की समस्या नजर नहीं आई। जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में है। परिजनों ने जल्द समस्या का समाधान न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।