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आस्था : कोटियाल गांव में आयोजित (नौरता) पांडव नृत्य का समापन

नौगांव uttarkashi,, रवांई घाटी के कोटियाल गांव में “थाती माटी पूजन” (गांव की ‘खुशहाली) के लिए आयोजित (नौरता) 9 दिवसीय पांडव नृत्य का गुरुवार आज विधि–विधान के साथ समापन हो गया है। इस दौरान पांडवों ने अपने पश्वाओं पर अवतरित होकर ग्रामीणों को अपना आशीर्वाद दिया है।

जनपद उत्तरकाशी के विकासखंड नौगांव के कोटियाल गांव में हर तीसरे वर्ष (एक साल सुनारा) 13 दिसंबर को विधिवत अखंड दीप प्रज्वलित कर थाती माटी के पूजन के लिए (नौरता) पांडव नृत्य की विधिवत शुरुआत की गई थी। पांडवों ने गांव के महिला/पुरुषों पर अवतरित होकर 9 दिनों तक ढोल/दमाऊं की थाप पर नाचकर मंडाण लगाया। आठवें दिन पांडवों ने मध्यरात्रि करीब 12 बजे गांव के बाहर चक्कर लगाते सूत बांधकर ग्रामीणों को सुरक्षित किया। इसके बाद तड़के सुबह सभी पांडव यमुना नदी में स्नान के लिए गए। उसके बाद गांव के ठवार में पहुंचे और पांडव नृत्य कर ग्रामीणों को आशीर्वाद दिया। गांव के युवाओं ने 9 दिनों तक हाथी, गैंडी, स्वांग बनकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। समापन के मौके पर सभी दर्शकों को प्रसाद के रूप में रोट, चूरमा, मखन/घी व फल इत्यादि वितरित किए गए। इस दौरान समस्त ग्रामीण उपस्थित रहे।

“लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में ऐसे आयोजन महत्वपूर्ण हैं। अपनी लोक संस्कृति को बचाने के लिए हर एक व्यक्ति को आगे आने की जरूरत है। जिससे इस प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का सफल आयोजन लगातार होता रहे”।–रोहित बिजल्वाण, संपादक यमुनोत्री टाइम्स।

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