- पुस्तक के माध्यम से रवांई की संस्कृति/लोगों के संघर्ष को समझने के लिए जरूरी प्रयास
पुरोला uttarkashi,, रवांई क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भाषा को साहित्य के माध्यम से जीवंत बनाए रखने का एक और सशक्त प्रयास आज उस समय देखने को मिला जब पुरोला विकासखंड के गुन्दियाट गांव स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में विजयपाल सिंह रावत की आत्मकथा “किमडार कू पाणी, पौंटी कू घाम” पुस्तक का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया।
यह आयोजन न केवल एक पुस्तक के लोकार्पण का अवसर था, बल्कि रवांई की बोली, रीति-रिवाज, खान-पान और सभ्यता को दस्तावेजबद्ध करने वाले एक सांस्कृतिक आंदोलन की निरंतरता का प्रतीक बन गया है। हिमांतर द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के लोकार्पण के कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि इसमें रवांल्टी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर महावीर रवांल्टा का मार्गदर्शन और योगदान प्रमुख रहा, जिनके अथक प्रयासों से रवांल्टी भाषा और संस्कृति को साहित्य के पटल पर एक नई पहचान मिल रही है।
कार्यक्रम में दिल्ली से पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मोहन भुलानी, नेत्रपाल यादव, इन्द्र सिंह नेगी,धीरेन्द्र कंडियाल, प्रताप रावत, प्रहलाद पंवार, भरत सिंह चौहान ने अपने विचार रखते रवांई भाषा के दस्तावेजीकरण को एक ऐतिहासिक कदम बताया। स्थानीय ग्रामीणों से लेकर युवा वर्ग तक, सबमें रवांई संस्कृति के लिए गौरव और अपनापन देखा गया। पुस्तक “किमडार कू पाणी, पौंटी कू घाम” एक ऐसे जनजीवन की झलक देती है जो पहाड़ों के संघर्ष, सादगी और आत्मबल को दर्शाती है।कार्यक्रम का संचालन जयवीर सिंह रावत व संयोजन शूरवीर सिंह राणा ने किया।
ये रहे उपस्थित : शशि मोहन रवांल्टा, अनोज बनाली, खिलानन्द बिजल्वाण, धर्मपाल, अजयपाल रावत, जयेंद्र चौहान, अनुरूपा ‘अनुश्री’, कुलवंती रावत, खिलानंद बिजल्वाण, अनिल बेसारी, राजुली बत्रा, कुलवंती रावत सहित अन्य गणमान्य लोग रहे।