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आस्था : “भागवत कथा संस्कारों की जननी” : राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य

नौगांव uttarkashi,, कोटियाल गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य ने पार्वती और शिव का विवाह, शुक देव की कथा, राजा परीक्षित का प्रसंग, ध्रुव चरित्र, ऋषभ देव का चरित्र, दक्ष यज्ञ का प्रसंग का व्याख्यान कर श्रोताओं को श्रवण कराया। तीसरे दिन की भागवत कथा संपन्न होने के बाद श्रद्धालुओं ने प्रसाद/भंडारा पाया।

कोटियाल गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य ने कहा कि भागवत कथा संस्कारों की जननी, लेकिन आज हम संस्कार नहीं कर रहे हैं, फलतः संस्कृति संस्कार विहीन हो रही है। दिती ने सन्हया के समय गर्भाधान संस्कार विहीन हो पति समागम करने के फलतः हिरण्यकश्यप शिशु जैसे महान राक्षसों को जन्म दिया। आज के माता-पिता गर्भाधान आदि संस्कार न कराने संस्कार विहीन बच्चों को जन्म दे रहे हैं, विवाह संस्कार शॉर्टकट में होने से या प्रेम विवाह होने से आज के समय में जितने जल्दी युवा–युवतियां शादी कर रहे हैं, उतने शीघ्र उनका तलाक सम्बन्ध विच्छेद भी हो रहे हैं। किन्तु भागवत ने कहा कि अभावों–दुखों में भी सुनीति और कयाघु के भांति ध्रुव एवं प्रहलाद की भांति संस्कारों से गढ़ों एन माताओं ने जैसे मूर्तिकार पत्थर के टुकड़े को तराशकर सुंदर मूर्ति रूप में पूजनेयोग्य बनता है, स्वर्णकार सोने को तापकर सुंदर/दिव्य आभूषण रूप बनाकर आप के गले का हार बनता है, आप भी अपने बच्चों को ऐसे ही तराशकर संस्कारित कर ध्रुव/प्रहलाद के भांति संस्कारित कर इस देश को पुनः विश्व गुरु बना भारत माता को संस्कारों की जननी सिद्ध कर विश्व को दिखायें। यही भागवत कथा का सार है कि आजकल के युवा संस्कारवान हों, नशीले पदार्थों के दुर्व्यसनों से राष्ट्र मुक्त हो, राष्ट्रधर्म, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रप्रेम से प्रत्येक भारतीय ओतप्रोत हो, मानवीय गुणों का साक्षात रूप हो। आयोजक बृजमोहन बिजल्वाण ने बताया कि शनिवार को कथा का (चतुर्थ दिवस) 4th day है, आज भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया जाएगा। इसलिए सभी लोग अधिक से अधिक संख्या में आकर भागवत कथा का श्रवण कर भंडारा पाकर हमें अनुग्रहित करने की कृपा करें।

ये रहे उपस्थित

मंडप आचार्य हरिकृष्ण प्रसाद उनियाल, समस्त पंडित, म्यूजिक टीम, जिला यमुनाघाटी व्यापार मंडल उपाध्यक्ष जगमोहन नौडियाल, विद्या दत्त डोभाल, रामलाल बंधानी, विजय बंधानी, रमेश बिजल्वाण, ब्रिजमोहन बंधानी, हरिमोहन परमार, धनवीर रावत, नवीन डोभाल, संपूर्ण बिजल्वाण परिवार सहित ग्रामीण व बाहर से आए श्रोता रहे।

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