नौगांव/पुरोला/लाखामंडल uttarkashi,, महाशिवरात्रि पर्व पर यमुनाघाटी के शिवालयों में आस्था, भक्ति के साथ धूमधाम से मनाया गया। शिवालयों में सुबह से ही जलाभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान सभी शिवालय भोले के जयकारों से गुंजायमान रहे।
यमुनाघाटी के शिवालयों कमलेश्वर महादेव मंदिर, लाखामंडल, नागराज मंदिर, कोटियाल गांव, नौगांव शिव मंदिर, बड़कोट में शिव मंदिर, दारसों शिवालय में सुबह से ही जलाभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। लोगों ने शिवलिंग पर दूध/मखन से रूद्राभिषेक कर बेर, केले, संतरे, धतूरा चढ़ा कर पूजा–अर्चना कर अपने सुख, समृद्धि की कामना की। कमलेश्वर महादेव में आयोजित मेले का लोगों ने खूब लुत्फ उठाया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
शिव नगरी लाखामंडल में महाशिवरात्रि पर्व भाजपा नेता गीताराम गौड़ द्वारा विश्व कल्याण के लिए रूद्राभिषेक किया गया। रूद्राभिषेक में प्रमोद रोतेला, सुशील गौड़, नितेश शर्मा, रामकृष्ण शर्मा, अतर दत्त बहुगुणा, बाबूराम शर्मा, मोहन लाल बहुगुणा, लोकेश उनियाल, ओम प्रकाश नौडियाल, कुलदीप, सीएचसी पुरोला प्रभारी कपिल तोमर सहित अन्य लोग रहे। रूद्राभिषेक आचार्य लोकेश बडोनी मधुर के द्वारा सम्पन्न किया गया है। भाजपा नेता सुशील द्वारा इस मौके पर भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन कराया गया।
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि…
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इसे लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर यानी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पहली बार शिवलिंग के स्वरूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है कि महाशिवरात्रि को शिव जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं शिवलिंग का पूजन सबसे पहले ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु ने किया था। शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए शिवरात्रि का व्रत माता लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती और रति आदि देवियों ने भी किया था। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रगट हुए थे।