पुरोला uttarkashi,, कुमुंदेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित सात दिवसीय अष्टोत्तरशत 108 श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आज हवन यज्ञ और भंडारे के साथ समापन हो गया है। मंदिर समिति द्वारा यज्ञ में आई देव डोलियों को पारंपरिक तरीके से विदाई की गई।
मुख्य व्यास शिव प्रसाद नौटियाल ने प्रवचन करते कहा कि आत्मा को जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त कराने के लिए भक्ति मार्ग से जुड़कर सत्कर्म करना होगा। हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन करते कहा इंसान चाहे गरीब हो या अमीर उसको हर क्षण प्रभु भक्ति में मस्त रहना चाहिए। उन्होंने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए समय–समय पर भागवत होती रहनी चाहिए। आचार्य लोकेश बडोनी मधुर ने कहा कि हिन्दुस्तान में जब तक धर्म की धड़कन धड़कती रहेगी तब तक विश्व में सुख, शान्ति, समृद्धि बनी रहेगी, हमारा सौभाग्य है कि हम भगवान श्री राम का मन्दिर बनते हुए देख रहे हैं नहीं तो हमारे पूर्वजों ने सनातन धर्म संस्कृति मन्दिर तोड़ते हुए देखा है। अब उम्मीद जगी है कि हम आने वाले दिनों में अखण्ड हिन्दू राष्ट्र का दर्शन करेंगे। मंदिर समिति द्वारा यज्ञ में आई देव डोलियों का आभार प्रकट करते पारंपरिक तरीके से विदाई की गई। समिति द्वारा सभी कथा वाचकों को दान दक्षिणा और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
ये रहे उपस्थित : अध्यक्ष उपेंद्र सिंह असवाल, सचिव जयवीर सिंह रावत, कोषाध्यक्ष बलदेव सिंह नेगी, शेखर नौटियाल, बृजमोहन सजवाण, भगवान सिंह असवाल, ओमप्रकाश नौडियाल, राजपाल पंवार, मनमोहन नौडियाल, आचार्य रोशन जगुडी, किशोरी रतुडी, शक्ति सेमवाल, मनमोहन बडोनी, संतोष खण्डूरी, सुभाष बहुगुणा, दिवाकर उनियाल, लोकेश उनियाल, शानू रावत, अनुज असवाल, महिदेव असवाल, अनूप रावत, दर्पण चौहान, गौतम असवाल, कुलदीप बिजल्वाण, लखन चौहान, राहुल रावत सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।